'ड्रग्स' व्यसन का '3डी' असर, PM मोदी बोले- 'मन की बात', ...#‘नशा मुक्त भारत’
युदस नदि :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तीसरी बार रेडियो के माध्यम देश के लोगों के साथ अपने 'मन की बात' की। इस बार प्र.मं मोदी ने युवाओं में बढ़ती नशे की लत पर चिंता जताते हुए अपनी बात रखी। प्र.मं ने कहा कि नशा एक मानसिक-सामाजिक बुराई है और इससे निपटने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि नशा हमारे जीवन में 3डी 'डिस्ट्रक्शन, डार्कनेस और डिवास्टेशन' अर्थात अंधकार और विनाश लाता है।
तहस नहस हो जाता है। ड्रग्स, नशा ऐसा भयंकर रोग है, ऐसी भयंकर बुराई है जो अच्छे अच्छों को हिला देती है। नशे को मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, चिकित्सा समस्या करार देते हुए उन्होंने कहा कि जब कोई बालक इस बुराई में फंसता है, तो कभी-कभी हम उस बालक को दोषी मानते हैं। सत्य यह है कि नशा अपने आप में बुरा है। नशे की लत बुरी है। हम आदत को बुरा माने और उससे दूर रखने का रास्ता खोजें। बालक को दुत्कार देंगे, तो वो नशा करने लग जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि यह एक ऐसा दलदल है जिससे परिवार, समाज, देश सब कुछ नष्ट हो जाता है और इससे बचने के लिए बच्चों को ध्येयवादी बनाना आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नशे की बुराई का समाधान चाहने वालों की सहायता के लिए निशुल्क संवाद 'टॉल फ्री हेल्पलाइन' स्थापित की जाएगी। आकाशवाणी पर आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, लंबे समय बाद मुझे हमारी युवा पीढ़ी की चिंता हो रही है। आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया है, चिंता इसलिए हो रही है कि किसी मां का लाल, किसी परिवार का बेटा या बेटी ऐसे दलदल (नशे के व्यसन) में फंस जाते हैं, तो केवल वह व्यक्ति ही नहीं, बल्कि वो पूरा परिवार नष्ट हो जाता है। समाज, देश सब कुछ मोदी ने कहा कि हमें नशे की आदत का मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, चिकित्सा समस्या के रूप में उपचार करना पड़ेगा। कुछ समस्याओं का समाधान चिकित्सा से परे हैं। व्यक्ति को स्वयं, उसके परिवार, मित्रों परिजनों, समाज, सरकार और कानून सबको मिलकर, इस दिशा में काम करना पड़ेगा। टुकड़ों में करने से समस्या का समाधान नहीं होना है। प्रधानमंत्री ने कहा, ड्रग्स ‘थ्री डी’ बुराइयों को लाने वाला है और ये बुराइयां जीवन में अंधकार (डार्कनेस), तहस नहस (डिस्ट्रक्शन) तथा विनाश (डिवास्टेशन) हैं। ड्रग्स की बुराई का समाधान चाहने वालों की मदद के लिए टॉल फ्री हेल्पलाइन स्थापित की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि यह एक ऐसा दलदल है जिससे परिवार, समाज, देश सब कुछ नष्ट हो जाता है और इससे बचने के लिए बच्चों को ध्येयवादी बनाना आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नशे की बुराई का समाधान चाहने वालों की सहायता के लिए निशुल्क संवाद 'टॉल फ्री हेल्पलाइन' स्थापित की जाएगी। आकाशवाणी पर आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, लंबे समय बाद मुझे हमारी युवा पीढ़ी की चिंता हो रही है। आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया है, चिंता इसलिए हो रही है कि किसी मां का लाल, किसी परिवार का बेटा या बेटी ऐसे दलदल (नशे के व्यसन) में फंस जाते हैं, तो केवल वह व्यक्ति ही नहीं, बल्कि वो पूरा परिवार नष्ट हो जाता है। समाज, देश सब कुछ मोदी ने कहा कि हमें नशे की आदत का मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, चिकित्सा समस्या के रूप में उपचार करना पड़ेगा। कुछ समस्याओं का समाधान चिकित्सा से परे हैं। व्यक्ति को स्वयं, उसके परिवार, मित्रों परिजनों, समाज, सरकार और कानून सबको मिलकर, इस दिशा में काम करना पड़ेगा। टुकड़ों में करने से समस्या का समाधान नहीं होना है। प्रधानमंत्री ने कहा, ड्रग्स ‘थ्री डी’ बुराइयों को लाने वाला है और ये बुराइयां जीवन में अंधकार (डार्कनेस), तहस नहस (डिस्ट्रक्शन) तथा विनाश (डिवास्टेशन) हैं। ड्रग्स की बुराई का समाधान चाहने वालों की मदद के लिए टॉल फ्री हेल्पलाइन स्थापित की जाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, नशा अंधेरी गली में ले जाता है। विनाश के मोड़ पर आकर खड़ा कर देता है और तहस नहस के अतिरिक्त नशे में कुछ दृश्य नहीं होता है। प्रधानमंत्री ने 'सोशल मीडिया' पर सक्रिय लोगों से सोशल मीडिया पर ‘#नशा मुक्त भारत’ # के साथ आंदोलन चलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि वह आने वाले दिनों में खेल, कला जगत, सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों ओैर संतों से इस विषय में जागरूकता फैलाने का आग्रह करेंगे।
मोदी ने कहा, मैं नशे में डूबे हुए उन नौजवानों से पूछना चाहता हूं कि दो.चार घंटे की नशे की लत में संभवत: एक भिन्न जीवन जीने का आभास होता होगा किन्तु, क्या आपने कभी सोचा है कि जिन पैसों से आप 'ड्रग्स' खरीद रहे हो, वो पैसे कहां जाते हैं ? आपने कभी सोचा है? कल्पना कीजिए कि यही ड्रग्स के पैसे यदि आतंकवादियों के पास जाते होंगे, इन्हीं पैसे से यदि आतंकवादी शस्त्र खरीदते होंगे और उन्हीं शस्त्रों से कोई आतंकवादी, मेरे देश के जवानों के सीने में गोलियां दाग देता होगा।’ उन्होंने कहा कि मेरे देश का जवान शहीद हो जाता होगा.. तो क्या कभी सोचा है आपने ? उस गोली में कहीं न कहीं, तुम्हारी नशे की आदत का पैसा भी है।
प्रधानमंत्री ने ऐसे युवाओं से कहा, आप भी तो भारत माता को प्रेम करते हैं, आप भी तो देश के सैनिकों का सम्मान करते हैं, तो फिर आप आतंकवादियों को सहयोग करने वाले, ड्रग माफिया को सहयोग करने वाले इस व्यवसाय को कैसे सहयोग कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि जब जीवन में निराशा आ जाती है, जीवन में कोई रास्ता नहीं सूझता, तब व्यक्ति नशे की लत में पड़ जाता है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि जिनके जीवन में कोई ध्येय नहीं है, लक्ष्य नहीं है, एक शुन्यता है, वहां ड्रग्स का प्रवेश सरल होता है। ड्रग्स से यदि बचना है और अपने बच्चे को बचाना है, तो उसे ध्येयवादी बनाइए। कुछ करने के संकल्प वाला बनाइए, सपने देखने वाला बनाइयें। फिर अन्य वस्तुओं की ओर उनका मन ही नहीं लगेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी कभी मित्रों के बीच रहते हुए लगता है कि ये बड़ा ‘बिंदास’ है। कुछ लोगों को लगता है कि यह ‘शैली प्रस्तुतीकरण’ है और मन की इसी स्थिति में कभी कभी पता न रहते हुए ही ऐसे गंभीर रोग में फंस जाते हैं। उन्होंने कहा, न ये ड्रग्स ‘शैली प्रस्तुतीकरण’ है और न ये ‘बिंदास’ है। यथार्थ में ये विनाश का परिदृश्य है और इसलिए हम सभी को चाहिए कि जब भी अपने साथियों के बीच नशे का गौरव गान हो, तब तालियां बजाने की बजाए ‘नहीं’ कहने का साहस करें। इसे नकारने का साहस कीजिए। जो अनुचित कर रहे हों, उनको इस बारे में कहने का साहस कीजिए।
मोदी ने कहा, मैं माता पिता से कहना चाहता हूं.. हमारे पास समय नहीं है, :हम दौड़ रहे हैं। जीवन का गुजारा करने के लिए दौड़ रहे हैं। अपने जीवन को अच्छा बनाने के लिए, दौड़ना पड़ रहा है। किन्तु इस दौड़ के बीच में भी अपने बच्चों के लिए हमारे पास समय है, क्या? हमने देखा है कि हम अपने बच्चों के साथ उनकी लौकिक प्रगति पर चर्चा करते हैं..कितने अंक आए, परीक्षा कैसी गई, क्या खाना है, क्या नहीं खाना है, कहां जाना है, कहां नहीं जाना है.. हमारी बातों का क्षेत्र यहीं तक सीमित है।
उन्होंने कहा कि क्या कभी बच्चे को अपना हृदय हमारे पास खोलने या उसके हृदय के भीतर जाकर उसे देखने का अवसर दिया है ? आप ये अवश्य कीजिए। यदि बच्चों के साथ खुलेंगे, तो वहां क्या चल रहा है, पता चलेगा। बच्चे में बुरा व्यसन अचानक नहीं आता है, धीरे धीरे आरम्भ होता है। जैसे जैसे बुराई शुरू होती है, तो घर में उसके :व्यवहार में: परिवर्तन भी शुरू होता है। उस परिवर्तन को ध्यान से देखना चाहिए। उस परिवर्तन को ध्यान से देखेंगे तब आरम्भ में ही बच्चे को बचा लेंगे। बच्चे के मित्रों के बारे में भी जानकारी रखें और मात्र प्रगति के बारे में ही बातों को सीमित नहीं रखें।
प्रधानमंत्री ने कहा, बच्चे के जीवन की गहराई, उसकी सोच, उसके तर्क, उसके विचार, उसकी पुस्तक, उसके मित्र, उसके मोबाइल फोन.. क्या हो रहा है? उसका समय कहां बीत रहा है। अपने बच्चों को बचाना है, तब मैं समझता हूं, कि जो काम मां-बाप कर सकते हैं, वह कोई दूसरा नहीं कर सकता।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बात मैं देख रहा हूं दवाई बेचने वालों की। कभी कभी तो दवाइयों के साथ ही इस प्रकार की चीज (ड्रग्स) आ जाती है। डाक्टर के औषध पत्र के बिना ऐसी औषध न दी जाएं। कभी कभी तो कफ सिरप भी व्यसन का आरम्भ बन जाते हैं। इस बारे में अनुशासन को हमको स्वीकार करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संदर्भ में उन्हें सुझावों के साथ मिले हजारों पत्रों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि अच्छी पढ़ाई के लिए गांव के बच्चे भी अपना राज्य छोड़कर अच्छी जगह प्रवेश करा कर हास्टल का जीवन जीते हैं। मैंने ऐसा सुना है कि कभी कभी वो भी इन बुराइयों का प्रवेश द्वार बन जाता है। हमें इस विषय में शैक्षणिक संस्थाओं, समाज, सुरक्षा बलों सभी को जागरूक बनाना होगा। सरकार भी अपना दायित्व निभाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे यहां सदियों से पूर्वजों ने कुछ बड़ी विद्वत्तापूर्ण बातें कही हैं । हमारे यहां कहा जाता है कि ‘पांच वर्ष लौ लीजिए, दस लौ ताड़न देई, सुत ही सोलह वर्ष में मित्र सारिज गनि देई। उन्होंने कहा कि कहने का तात्पर्य बच्चों के प्रति पांच वर्ष की आयु तक माता पिता को प्रेम दुलार का व्यवहार रखना चाहिए, इसके बाद जब पुत्र 10 वर्ष का होने को हो, तब उसके लिए अनुशासन होना चाहिए, अनुशासन का आग्रह होना चाहिए।
मोदी ने कहा कि कभी कभी हमने देखा है कि समझदार मां रूठ जाती है, एक दिन बच्चे से बात नहीं करती है। बच्चों के लिए यह बड़ा दंड होता है। दंड तो मां स्वयं को देती है किन्तु बच्चे को भी सजा हो जाती है। उन्होंने कहा कि जब बच्चा 16 वर्ष का हो, तब उसके साथ मित्र के समान व्यवहार होना चाहिए, खुलकर बात होनी चाहिए। उन्होंने ड्रग्स और नशे की लत के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भी सराहना की।
संयुक्त राष्ट्र की ओर से 21 जून को योग दिवस मनाने की स्वीकृति पर समर्थन देने वाले देशों के प्रति प्रधानमंत्री मोदी ने आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने ब्लाइंड क्रिकेट टीम से मिलने के अवसर और जम्मू कश्मीर क्रिकेट टीम की मुम्बई की टीम पर जीत के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ अपनी बैठक का भी उल्लेख किया, साथ ही लोगों से पूर्वोत्तर राज्य घूमने का सुझाव भी दिया।
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